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अंधेरे का दरवाज़ा
भारत में कई ऐसी डरावनी जगहें हैं जिनके पीछे कहानियाँ छिपी होती हैं। यह डरावनी हिंदी कहानी एक ऐसे दरवाज़े की है जो न तो खुलना चाहिए और न ही बंद होना चाहिए… क्योंकि इसके आर-पार सिर्फ़ मौत है।
गाँव का रहस्य
उत्तराखंड के टेढ़े-मेढ़े पहाड़ों के बीच बसा था एक छोटा सा गाँव — “दुर्गापुर”। लोग मेहनती थे लेकिन एक बात को लेकर हमेशा खामोश रहते थे — गाँव के बाहर एक टूटा-फूटा खंडहर, जिसे सब “अंधेरे का दरवाज़ा” कहते थे।
यह दरवाज़ा गाँव से दूर जंगल में स्थित था और लोगों का मानना था कि वहाँ कोई आत्मा रहती है। भूतिया अनुभव और रात में अजीब-अजीब आवाजें लोगों को डरा देती थीं। जो भी उस दरवाज़े के पास गया, वापस नहीं आया।
2. मुख्य किरदार: प्रिया और अर्जुन
प्रिया एक युवा पत्रकार थी जो डरावनी कहानियों की सच्चाई जानने में विश्वास रखती थी। वह इंटरनेट पर पढ़ी गई हॉरर स्टोरी इन हिंदी को सच्चाई में बदलने का हौसला रखती थी। उसके साथ था उसका बचपन का दोस्त अर्जुन।
दोनों ने मिलकर तय किया कि इस रहस्य का पर्दाफाश किया जाए। गाँव के बुज़ुर्गों ने बहुत मना किया, लेकिन उनकी जिज्ञासा किसी चेतावनी से शांत नहीं हुई।
3. दरवाज़े तक की यात्रा
प्रिया और अर्जुन ने एक कैमरा, टॉर्च और आवाज़ रिकॉर्ड करने वाला डिवाइस लेकर जंगल की ओर रुख किया। रास्ते में पेड़ों की शाखाएं ऐसी लग रही थीं मानो वो उन्हें पकड़ रही हों।
जब वे रहस्यमयी दरवाज़ा के पास पहुंचे, तो वहां अजीब सी ठंडक महसूस हुई, जबकि मौसम गर्म था। हवा में एक अजीब सी सरसराहट थी और जैसे ही प्रिया ने दरवाज़े को छुआ — दरवाज़ा अपने आप खुल गया।
4. अंधेरे में समाया सच
अंदर घुप्प अंधेरा था, टॉर्च की रोशनी भी जैसे निगल ली जा रही थी। दीवारों पर पुरानी मानव आकृतियाँ बनी थीं। अचानक अर्जुन की टॉर्च बंद हो गई और एक भयानक चीख गूंजी — “तुम्हें नहीं आना चाहिए था!”
जब प्रिया ने मुड़कर देखा, अर्जुन वहां नहीं था।
यह कहानी अब महज़ डरावनी स्टोरी नहीं रह गई थी — यह अब एक भूतिया अनुभव बन चुकी थी।
5. समय का भ्रम
प्रिया ने जैसे ही कैमरे की रिकॉर्डिंग चेक की, वो हैरान रह गई। उसके हिसाब से वे वहां सिर्फ़ 10 मिनट रहे थे, लेकिन वीडियो में समय था — 3 घंटे 33 मिनट।
इस दौरान कई डरावनी छवियाँ, फुसफुसाहटें, और एक परछाई बार-बार अर्जुन के पास दिख रही थी।
6. आत्मा का संदेश
एक कमरे में उसे एक पुरानी डायरी मिली, जिस पर लिखा था —
“मैं रागिनी हूँ, जिसने इस दरवाज़े को खोला था। अब मैं यहाँ से बाहर नहीं निकल सकती। जो भी आता है, उसका अंत यहीं होता है।”
प्रिया ने जब आवाज़ रिकॉर्डिंग चलाई, तो उसमें एक महिला की रोती हुई आवाज़ सुनाई दी —
“मेरी हड्डियाँ वहीं दबी हैं…”
7. दरवाज़े की आत्मा

रात के एक बजे, दरवाज़े के अंदर अचानक एक धुंध सी उठी और उसमें से एक स्त्री आकृति निकली — सफ़ेद साड़ी, उलझे बाल, और गहरे काले आंखें।
वो बोली:
“तू भी रुक जा… तू भी मेरी तरह ही जिज्ञासु है… लेकिन अब तू भी मेरी तरह अकेली रहेगी।”
8. भागने की कोशिश
प्रिया ने पूरी ताकत से दरवाज़े की ओर दौड़ लगाई, लेकिन दरवाज़ा अब दिख ही नहीं रहा था। चारों ओर सिर्फ़ दीवारें थीं — और वह स्त्री आत्मा बार-बार कह रही थी:
“मुझे किसी की कंपनी चाहिए… कोई हो जो मेरी चीखों को सुने!”
9. गाँव लौटने की राह
किसी तरह अगले दिन सुबह गाँव वाले उस खंडहर तक पहुंचे और उन्हें प्रिया बेहोश मिली। अर्जुन का कोई अता-पता नहीं था।
जब उसे होश आया, उसने एक ही बात दोहराई —
“दरवाज़ा बंद मत करना… वो बाहर आ जाएगी…”
10. आज भी ज़िंदा है वो दरवाज़ा
आज भी अंधेरे का दरवाज़ा वहीं है। गाँव वाले अब उस तरफ नज़र भी नहीं डालते।
जो लोग हॉरर स्टोरी इन हिंदी पढ़कर उसे मज़ाक समझते हैं, उनके लिए यह एक चेतावनी है —
“कुछ दरवाज़े जानने के लिए नहीं होते… सिर्फ़ दूर रहने के लिए होते हैं।”