सुप्रीम कोर्ट में हंगामा: chief  justice br gavai CJI गवई पर जूता फेंकने वाले वकील ने कहा ‘No Regrets’

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CJI गवई पर जूता फेंकने वाले वकील ने कहा ‘No Regrets’

भारत के सर्वोच्च न्यायालय में सोमवार को एक चौंकाने वाली घटना सामने आई जब एक वकील ने मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की। हालांकि सुरक्षा कर्मियों की सतर्कता से यह प्रयास नाकाम हो गया। घटना के बाद उस वकील को तुरंत हिरासत में ले लिया गया।

लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि वकील ने गिरफ्तारी के बाद मीडिया से कहा —

“मुझे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है (No regrets).”

क्या हुआ था कोर्ट में?

जानकारी के मुताबिक, यह घटना सुप्रीम कोर्ट की एक सुनवाई के दौरान हुई, जब CJI बी.आर. गवई की बेंच एक मामले की सुनवाई कर रही थी।
तभी एक वकील, जो खुद को “न्याय के लिए आवाज़ उठाने वाला” बता रहा था, अचानक खड़ा हुआ और अपनी नाराज़गी जताते हुए जूता फेंकने की कोशिश की

सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उसे रोक लिया और कोर्टरूम से बाहर ले गए।

वकील ने क्यों किया ऐसा?

गिरफ्तारी के बाद जब मीडिया ने उस वकील से पूछा कि उसने ऐसा कदम क्यों उठाया, तो उसका जवाब था —

“मुझे सिस्टम से निराशा है। मैं न्याय की तलाश में सालों से भटक रहा हूं। अगर कोई नहीं सुनेगा, तो हमें अपनी बात रखने के लिए कुछ बड़ा करना पड़ेगा।”

उसने आगे कहा कि

“मुझे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है। मैंने ये कदम सिस्टम की सच्चाई दिखाने के लिए उठाया है।”

पुलिस और सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया

दिल्ली पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए वकील को हिरासत में लिया और पूछताछ शुरू की।
सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों ने इसे “गंभीर सुरक्षा उल्लंघन (Serious Security Breach)” बताया है और कहा कि कोर्ट परिसर में सुरक्षा को और कड़ा किया जाएगा।

CJI गवई ने इस घटना पर शांत और संयमित प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा:

“ऐसी घटनाएँ न्याय प्रणाली को नहीं डिगा सकतीं। न्याय हमेशा कानून के दायरे में ही होगा।”

सोशल मीडिया पर बहस

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर तीखी बहस छिड़ गई है।
कई लोगों ने वकील की हरकत को “अशोभनीय और अपमानजनक” बताया,
जबकि कुछ लोगों ने कहा कि “यह सिस्टम की गहरी खामियों की झलक है।”

ट्विटर (X) पर “#CJI_Gavai” और “#SupremeCourt” जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।

CJI गवई कौन हैं?

मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई (B. R. Gavai) भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश हैं।
वे महाराष्ट्र के अमरावती से हैं और डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों से प्रेरित माने जाते हैं।
उनका कार्यकाल 2025 में शुरू हुआ, और वे भारत के पहले बौद्ध धर्मावलंबी (Buddhist) CJI हैं।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्था में इस तरह की घटनाएँ न केवल न्याय प्रणाली की गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं, बल्कि समाज में असंतोष और गुस्से की झलक भी दिखाती हैं।
वकील का “नो रिग्रेट्स” बयान यह दर्शाता है कि न्यायिक सुधार की आवश्यकता पर समाज में चर्चा बढ़ रही है।

हालांकि, किसी भी असहमति को व्यक्त करने का तरीका कानून और मर्यादा के भीतर ही होना चाहिए —
क्योंकि न्याय के मंदिर में हिंसा नहीं, विवेक का स्थान है।